कौन हूँ मैं न जाना मैंने
न जान सकी ..
न जाना भोला बचपन
न जवानी ही पहचान सकी
अनजानी जिंदगी
अनजान ही गुजार दी..
आज अश्रुओं की धारा
बहती है, कहती है
रुक मत, बह
घटा बन के छा
पछतावा मत कर
आगे है किनारा..
आँखे खोल तो देख ज़रा
मुस्कुरा रही हैं ,
नन्हीं जिंदगियां तेरे आगे
कैसे गम और कैसे अभागे
किस्मत झुकती है तेरे आगे
ले चल काफिला अपना
जहां देगा तेरा साथ आगे..
नासमझ तू नहीं
नासमझ हैं वो
जिन्होंने तुझे न जाना
हिम्मत से है तुझे अपना
रास्ता बनाना..
न गवां अपने कीमती
समय, इन अश्रुओं को
पड़ेगी तुझे इनकी ज़रूरत
इक दिन तेरी आने वाली
खुशिओं को..
देख तो कहाँ से कहाँ ले
आया है तुझे तेरा साया
कहाँ खोया तूने कुछ
सब कुछ तो है पाया..
साथी खोये हैं, तो पाया है
इक साथ अनोखा
क्या कभी देना चाहा
उसने कोई धोखा?
बीती बिसरी भुला दे
उठ जा नींदों से
दुःख- सुख तो हैं
धुप- छाँव जैसे..
निडर ही दुनिया पे राज
करते हैं,
गिरते हैं, संभलते हैं,
सत्कर्मों का सदैव
आगाज़ करते हैं..
न डर तू ए हिम्मत
तुझे किसका गम है ?
तेरे हर शुभ फैसले में
शामिल तेरे हम (अपने) हैं..
मशाल-ए-जिंदगी उठा
हाथों में,
निकल पड़ उस राह पर
जहाँ तेरा कारवां है
मिलेंगीं वो मज़िलें तुझे
जिन्हें तूने कभी चाहा था
हुई थीं गुम वो तुझसे
वो काला जो साया था..
जला वो रौशनी तू अपनी
न कर अंधेरों से गिला
थक कर रुक न जा
तूफान भी तेरा सहारा था..
कल जो बीत चुका है,
जाने दे,
आने वाला कल
सँवरने को बेताब है,
उसे हाथों में समेट ले ..
- सीमा 'सोनल'
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